yhoba ki dya


भजन संहिता

Chapter 1

    

1 क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो दुष्टों की योजना पर* नहीं चलता,

     और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता;

     और न ठट्ठा करनेवालों की मण्डली में बैठता है!

     2 परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्‍न रहता;

     और उसकी व्यवस्था पर रात-दिन ध्यान करता रहता है।

     3 वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती पानी की धाराओं के किनारे लगाया गया है*

     और अपनी ऋतु में फलता है,

     और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं।

     और जो कुछ वह पुरुष करे वह सफल होता है।

     4 दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते,

     वे उस भूसी के समान होते हैं, जो पवन से उड़ाई जाती है।

     5 इस कारण दुष्ट लोग अदालत में स्थिर न रह सकेंगे,

     और न पापी धर्मियों की मण्डली में ठहरेंगे;

     6 क्योंकि यहोवा धर्मियों का मार्ग जानता है,

     परन्तु दुष्टों का मार्ग नाश हो जाएगा। 

सुनील कुमार

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